विशेष जांच दल (एसआईटी) ने डीआरआई से यह सत्यापित करने को कहा है कि क्या वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2013 के बीच 505 अरब डॉलर की धनराशि देश से बाहर ले जाई गई थी |
विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी विभिन्न रिपोर्टों में यह पाया है कि व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग ही वह प्रमुख स्रोत है जिसके माध्यम से अवैध धन को देश से बाहर ले जाया जाता है। एसआईटी ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि उस समर्पित तंत्र के जरिए संस्थागत व्यवस्था कायम की जानी चाहिए, जो नियमित आधार पर अन्य देशों के आयात/निर्यात डेटा के मुकाबले भारत के आयात/निर्यात डेटा में दिखने वाले अंसतुलन पर गौर करता है। ‘ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी’ की रिपोर्ट सहित विभिन्न रिपोर्टों में इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग ही वह मुख्य माध्यम या प्रक्रिया है जिसके जरिए धन को अवैध रूप से विभिन्न देशों से बाहर ले जाया जाता है। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी ने अपनी रिपोर्ट ‘विकासशील देशों से अवैध वित्तीय प्रवाह 2004-2013’ में अनुमान व्यक्त किया है कि वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2013 तक की अवधि के दौरान भारत से अवैध वित्तीय प्रवाह 505 अरब डॉलर का हुआ था। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इनमें से प्रत्येक वर्ष के दौरान हुए देश-वार अवैध वित्तीय प्रवाह का ब्यौरा ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी से हासिल कर लिया। इसके बाद यह ब्यौरा 8 फरवरी, 2016 को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) को भेज दिया गया है और डीआरआई से यह सत्यापित करने को कहा गया है कि ये गणनाएं किस हद तक सही हैं। डीआरआई से रिपोर्ट मिलने के बाद ही विशेष जांच दल द्वारा इस दिशा में आगे कार्रवाई की जाएगी। |

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