वित्त
राज्यमंत्री श्री जयंत सिन्हा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में
बताया कि राष्ट्रपति ने 15 जून, 2015 को
परक्राम्य लिखत (संशोधन) अध्यादेश, 2015 (2015 का संख्या 6) को प्रख्यापित किया है। इस अध्यादेश में परक्राम्य
लिखत अधिनियम 1881 (एनआई अधिनियम) की धारा 138 के अंतर्गत चेकों को अस्वीकृत किए जाने के अपराध से संबंधित मामले की सुनवाई
के लिए न्यायालयों के स्थानीय अधिकारिता के निर्धारण के संबंध में उपबंध किए गए
हैं।
इस अध्यादेश में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का निर्धारण करने के लिए एनआई अधिनियम में संशोधन किया गया है –
1. मामले को केवल उसी न्यायालय में दर्ज करना, जिसके स्थानीय अधिकारिता के अंतर्गत अदाता की बैंक शाखा, जहां अदाता ने अपने खाते के जरिये भुगतान हेतु चेक प्रस्तुत किया है, अवस्थित है, केवल वाहक चेक के मामले को छोड़कर जिसे जारीकर्ता बैंक की शाखा में प्रस्तुत किया जाता है और उस मामले में उक्त शाखा के स्थानीय न्यायालय को इसकी अधिकारिता होती है।
2. बशर्ते कि जहां चेक जरीकर्ता के विरूद्ध अधिकारिता की नयी योजना के अंतर्गत अधिकारिता रखने वाले न्यायालय में मामला दर्ज किया गया हो, वहां उस चेक जारीकर्ता के विरूद्ध एनआई अधिनियम की धारा 138 के कारण होने वाली सभी उत्तरवर्ती शिकायतें, उसी न्यायालय में दर्ज की जाएंगी, चाहे उन चेकों को उक्त न्यायालय के स्थानीय अधिकारिता के भीतर भुगतान के लिए प्रस्तुत किया गया हो या नहीं।
3. बशर्ते कि यदि एक ही चेक जारीकर्ता के विरूद्ध अलग-अलग न्यायालयों में एनआई अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत एक से अधिक अभियोजन दर्ज हो, तो उक्त् तथ्य को उस न्यायालय के संज्ञान में लाने पर उक्त न्यायालय उस मामले को उसी न्यायालय में स्थानान्तरित करेगा, जिसके पास अधिकारिता की नयी योजना के अंतर्गत संबंधित मामले में अधिकारिता हो।
इस अध्यादेश में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित का निर्धारण करने के लिए एनआई अधिनियम में संशोधन किया गया है –
1. मामले को केवल उसी न्यायालय में दर्ज करना, जिसके स्थानीय अधिकारिता के अंतर्गत अदाता की बैंक शाखा, जहां अदाता ने अपने खाते के जरिये भुगतान हेतु चेक प्रस्तुत किया है, अवस्थित है, केवल वाहक चेक के मामले को छोड़कर जिसे जारीकर्ता बैंक की शाखा में प्रस्तुत किया जाता है और उस मामले में उक्त शाखा के स्थानीय न्यायालय को इसकी अधिकारिता होती है।
2. बशर्ते कि जहां चेक जरीकर्ता के विरूद्ध अधिकारिता की नयी योजना के अंतर्गत अधिकारिता रखने वाले न्यायालय में मामला दर्ज किया गया हो, वहां उस चेक जारीकर्ता के विरूद्ध एनआई अधिनियम की धारा 138 के कारण होने वाली सभी उत्तरवर्ती शिकायतें, उसी न्यायालय में दर्ज की जाएंगी, चाहे उन चेकों को उक्त न्यायालय के स्थानीय अधिकारिता के भीतर भुगतान के लिए प्रस्तुत किया गया हो या नहीं।
3. बशर्ते कि यदि एक ही चेक जारीकर्ता के विरूद्ध अलग-अलग न्यायालयों में एनआई अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत एक से अधिक अभियोजन दर्ज हो, तो उक्त् तथ्य को उस न्यायालय के संज्ञान में लाने पर उक्त न्यायालय उस मामले को उसी न्यायालय में स्थानान्तरित करेगा, जिसके पास अधिकारिता की नयी योजना के अंतर्गत संबंधित मामले में अधिकारिता हो।

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