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4 Aug 2015

बैंकों का 3 लाख करोड़ के फंसे कर्ज निकालने पर जोर


मुंबई। देश में बैंकों का करीब 3 लाख करोड़ का कर्ज फंसा हुआ है। बैंक इसे वसूलने के लिए अब नए तरीके निकाल रहे हैं। बैंक इन कर्जदारों के नाम उजागर कर रहे हैं। यहां तक की इनसे जब्त एसेट्स को नीलाम करने के लिए शॉपिंग मॉल की बड़ी टीवी स्क्रीन पर विज्ञापन दे रहे हैं। बैंकों का अधिकतर फंसा हुआ कर्ज कॉरपोरेट लोन के कारण है। ये मंदी, खराब कर्ज और बैंकों के धीमेपन के कारण इस दशक में सबसे ज्यादा है। रिकवरी के लिए स्पीड तेज बैंक अधिकारियों के मुताबिक सरकार की और से इकोनॉमिक रिकवरी तेज करने और रिजर्व बैंक की और से कर्ज लेने वालों की जिम्मेदारी बढ़ाने के बाद अब जल्दी और कड़ाई से कदम उठाने का वक्त आ गया है। बैंक छोटे कर्जदारों के नाम उजागर करने के कैंपेन में तेजी ला दी है। इसमें बैंक अधिकारी कर्ज ना देने वाली कंपनियों के ऑफिस के सामने जाकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इसके अलावा निवेशकों और कंपनी के बड़े अधिकारियों पर दबाव भी बनाया जा रहा है। टीम को रिकवरी की ट्रेनिंग एसबीआई के डिप्टी एमडी पीके मेहरोत्रा के मुताबिक उनकी टीम को अलग से ट्रेनिंग दी गई है जिसमें साइकोलॉजी भी शामिल है। बैंक का फोकस अब कोर्ट केस में जल्दी निपटाने पर है। अब कम पेपरवर्क और ज्यादा फील्डवर्क पर ध्यान दिया जा रहा है।बैंक अधिकारियों के मुताबिक अभी ये इस अभियान की सफलता के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी। लेकिन बैंकों को इससे फायदा जरूर हो रहा है। कंपनियों पर भी दबाव सुजलॉन एनर्जी ने इस साल जर्मनी की कंपनी सेनवियोन को 1 अरब यूो में बेचा। कंपनी ने ये बिक्री सेनवियोन को खरीदने के लिए दी गई रकम से कम में की। बैंकों ने सुजलान के कर्ज को कम करने के लिए दबाव बनाया था। एसबीआई समेत करीब 2 दर्जन कर्ज देने वाले अब इलेक्ट्रोस्टील के लिए निवेशक ढूंढ रहे हैं। इस कंपनी का करीब 1.4 अरब डॉलर का कर्ज फंसा हुआ है। बैंक अब कर्ज देने के बाद लगातार उसकी समीक्षा कर रहे हैं। कुल लोन का 4 फीसदी फंसा कर्ज रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बैंकों का करीब 3.1 लाख करोड़ कर्ज फंसा हुआ है। ये बैंकों के कुल लोन का 4.6 फीसदी है। अगर इसमें ऐसे लोन जो फंसे नहीं है लेकिन संकट में हैं उनकों शामिल कर लिया जाए तो ये बैंकों के कुल कर्ज का 11 फीसदी हो जाएगा। रिकवरी के लिए स्पेशल ब्रांच बैंकों का कहना है कि वो इसे कम करने के लिए अब जी जान लगा रहे हैं। ऐसे कर्ज को वसूलने के लिए अब ज्यादा अधिकारियों को भेजा जा रहा है। साथ ही स्पेशल ब्रांच के जरिए भी काम हो रहा है। कुछ बैंक जब्त की गई संपत्ती को नीलाम करने के लिए शॉपिंग मॉल के स्क्रीन पर विज्ञापन दे रहे हैं। एक बैंकर के मुताबिक इन दिनों कंपनी से थोड़े भी खराब संकेत मिलने के बाद लोगों को कर्ज वसूलने भेजा जा रहा है। क्योंकि अगर कंपनी को कुछ होता है तो बैंकों के करोड़ों रूपए दांव पर लग जाते हैं। कागजी कार्रवाई पर जोर नहीं स्टेट बैंक की ऐसी ब्रांच हैं जो सिर्फ लोन रिकवरी पर ही फोकस कर रही हैं। कागजी कार्रवाई से बचने के लिए बैंक मैनेजरों को खुद ही जब्त की गई संपत्ती के फोटो खींचने के लिए कह रहे हैं। ताकि मालिकाना हक बदलने का सबूत बैंक के पास रहे। बैंक की एक पोर्टल भी बनाने की योजना है जिसमें जब्त की गई सभी संपत्ती को नीलाम करने की जानकारी होगी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन अरूण तिवारी के मुताबिक उन्होंने लोन की साइज के हिसाब से रिकवरी के लिए मैनेजरों को जिम्मेदारी दी है। इसमें बड़े लोन, मध्यम लोन और छोटे लोन की रिकवरी की अलग-अलग जिम्मदारी तय की गई है।







सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़कर 2.67 लाख करोड़ रुपये हुआनई दिल्ली
 मार्च 2015 के अंत तक सरकारी बैंकों में बैड लोन बढ़कर 2.67 लाख करोड़ रुपये हो गया है। एक वर्ष पहले तक यह रकम 2.16 करोड़ रुपए थी। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने मंगलवार को राज्य सभा में यह जानकारी दी।
 राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सिन्हा ने कहा कि सरकारी बैंकों के एनपीए में लगातार इजाफा हो रहा है।
 पब्लिक सेक्टर के बैंकों में ग्रॉस एनपीए अनुपात मार्च 2015 में बढ़कर 5.43 प्रतिशत हो सकता है जबकि एक वर्ष पहले तक यह 4.72 प्रतिशत था।
 एक अन्य सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सरकारी क्षेत्र के बैंक सभी एनपीए की समय से रिकवरी को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इसका असर मुनाफे और पूंजी उपलब्धतता पर पड़ता है।
 2014-15 के दौरान सरकारी बैंकों ने 41236 करोड़ रुपये वसूल किए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 33698 करोड़ रुपये वसूले गए थे।
 इसके साथ ही सिन्हा ने स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा काले धन में आ रही कमी पर जवाब दिया। सिन्हा ने कहा कि इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं। इसमें सरकार द्वारा विदेशों में जमा कालाधन के खिलाफ उठाए जा रहे कदम भी शामिल हैं।
 रिपटों के मुताबिक, भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा धन में 2013 की तुलना में 2014 में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। सिन्हा ने कहा कि सरकार ने कालाधन के मुद्दे से निपटने के लिए कई 'प्रभावी कदम' उठाए हैं जिसमें एक जबरदस्त कानून बनाना और प्रशासनिक ढांचा तैयार करना शामिल है। सरकार की नीतिगत पहल में कालाधन पर कानून बनाना, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के अधीन एक विशेष जांच टीम का गठन के अलावा बेनामी कानून लागू करना शामिल है।
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