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पहली बार निर्यात आंकड़ा पंहुचा 10000 हजार करोड़ के पार –पढ़े कारपेट कोम्पक्ट का नया अंक ;

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4 Aug 2015

ई-कॉमर्स को लेकर राज्य भी सांसत में

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खुदरा दुकानदारों की बेहद मजबूत लॉबी के मद्देनजर राज्य सरकारें केंद्र की ओर से ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ की अनुमति देने के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोल रही हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीमारमण ने बुधवार को राज्यों के साथ बैठक में उनका मन टटोलने की कोशिश की। राज्यों ने साफ तौर पर कहा कि वह इस नीति का तभी समर्थन करेंगे, जब छोटे दुकानदारों व ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा। बाद में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस मुद्दे पर 15 दिनों के भीतर जबाव देने को कहा है। बैठक में सीतारमण ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया कि ई-कॉमर्स बदलते वक्त की जरूरत है। निर्यात बढ़ाने के मुद्दे पर विचार ई-कॉमर्स के अलावा इस दिन वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अलग बैठक भी की। इसमें निर्यात बढ़ाने के मुद्दे पर विचार किया गया। देश से होने वाले निर्यात में आ रही लगातार गिरावट को देखते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात में राज्यों की भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। हर राज्य को कहा गया है कि वह अपनी निर्यात नीति तैयार करे। सूबों को निर्यात के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त करने और विभाग तैयार करने को भी कहा गया है। साथ ही उन्हें यह निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ढांचागत विकास करें। सूत्रों के मुताबिक ई-कॉमर्स को लेकर केंद्र सरकार ने कई तरह की नीतियों को स्पष्ट करने की योजना बनाई है। इसमें राज्यों की मदद की जरूरत है। इस बैठक में केंद्र की तरफ से राज्यों के सामने ई-कॉमर्स कारोबार और इसमें हो रहे बदलाव की पूरी तस्वीर पेश की गई। इस तरह की बैठक कुछ दिन पहले ही देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों और उद्योग चैंबरों के साथ वाणिज्य मंत्री ने की थी। उसमें कंपनियों ने केंद्र व राज्यों के स्तर पर लगाए जाने वाले शुल्कों को लेकर चिंता जताई गई थी। सरकार ने पहले ही अपनी इस राय को सार्वजनिक कर दिया है कि सीधे ग्राहकों को सामान बेचने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों में विदेशी निवेश को खोलने के संबंध में वह जल्द फैसला करने वाली है। मगर कई राज्य सरकारें इसके पक्ष में नहीं है। बुधवार की बैठक में भी राज्यों ने कहा कि छोटे दुकानदारों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। साथ ही केंद्र को ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने के लिए पहले कदम उठाने का आग्रह राज्यों ने किया है।
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