उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार कई
योजनाओं पर काम कर रही है जिसके तहत सरकार लघु एवं मध्यम उद्योगों (एसएमई) के लिए
जल्द ही नई नीति अस्तित्व में लाने जा रही है। वाराणसी के दौरे पर आए प्रदेश के
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम
उद्योग तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने यहां बिजऩेस
स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का स्पष्ट निर्देश है
कि राज्य के उद्यमी, व्यापारियों और
कारोबारियों के साथ बैठक कर एकमत होकर औद्योगिक नीति का निर्माण किया जाए जिससे
औद्योगिक विकास में तेजी आ सके। प्रमुख सचिव गर्ग ने बताया कि उद्यमियों द्वारा
बहुप्रतीक्षित नई नीति चालू वित्त वर्ष के विकास एजेंडे में शामिल है। वही लघु और
मध्यम उद्योगों के लिए नई औद्योगिक नीति के लिए मुख्यमंत्री ने विभाग को निर्देश
जारी किया है कि देश के सभी राज्यों की औद्योगिक नीति का अध्ययन कर सभी उद्यमियों
से चर्चा कर सबसे अलग और बेहतरीन औद्योगिक नीति का निर्माण किया जाए।
गर्ग ने बताया कि 200 करोड़ रुपये से अधिक के बड़े उद्योगों के लिए मौजूदा औद्योगिक नीति बरकरार रहेगी, लेकिन लघु और मझोले उद्योगों के लिए नई नीति जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि इस नीति को क्षेत्रवार लागू किया जाएगा या एक साथ, यह फिलहाल तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके स्वरूप वगैरह से संबंधित सभी जानकारियां मीडिया को साझा की जाएंगी। उन्होंने कहा कि गुरुवार को नोएडा और आगरा के उद्यमियों के साथ बैठक हुई थी जिसमें उद्यमियों ने कहा कि हमें कोई बयानबाजी नहीं चाहिए, न सरकार से ब्याज में कटौती चाहिए। बस उन्होंने उद्योगो के लिए बेहतर बिजली और फॉर्म 38 की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
प्रमुख सचिव ने कहा कि यह मांग उद्यमियों ने दिल्ली के हिसाब से रखी, लेकिन यहां के उद्यमियों की समस्या अलग हो सकती है। महिला उद्यमियों की यहां अलग मांग है, तो वहीं दलित उद्यमियों की अलग मांग है। गर्ग ने कहा कि दो दिन पहले दलित औद्योगिक संघ के लोग मुख्यमंत्री से मिले थे, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि दलित उद्यमियों के लिए सभी योजनाएं जारी कर दी जाएं। गर्ग ने बताया कि देश में और प्रदेश में पहली बार औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियां आगे आ रही हैं जिसके तहत शनिवार 11 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास पर एक करार किया जाएगा जिसके तहत 25 से 30 निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो सकेंगे। उन्होंने पूर्वांचल के विकास पर कहा कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड के विकास के लिए अलग अलग निधि है, जिसमें से अलग से सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली वितरण की स्थिति में सुधार आ रहा है।
गर्ग ने बताया कि 200 करोड़ रुपये से अधिक के बड़े उद्योगों के लिए मौजूदा औद्योगिक नीति बरकरार रहेगी, लेकिन लघु और मझोले उद्योगों के लिए नई नीति जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि इस नीति को क्षेत्रवार लागू किया जाएगा या एक साथ, यह फिलहाल तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके स्वरूप वगैरह से संबंधित सभी जानकारियां मीडिया को साझा की जाएंगी। उन्होंने कहा कि गुरुवार को नोएडा और आगरा के उद्यमियों के साथ बैठक हुई थी जिसमें उद्यमियों ने कहा कि हमें कोई बयानबाजी नहीं चाहिए, न सरकार से ब्याज में कटौती चाहिए। बस उन्होंने उद्योगो के लिए बेहतर बिजली और फॉर्म 38 की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
प्रमुख सचिव ने कहा कि यह मांग उद्यमियों ने दिल्ली के हिसाब से रखी, लेकिन यहां के उद्यमियों की समस्या अलग हो सकती है। महिला उद्यमियों की यहां अलग मांग है, तो वहीं दलित उद्यमियों की अलग मांग है। गर्ग ने कहा कि दो दिन पहले दलित औद्योगिक संघ के लोग मुख्यमंत्री से मिले थे, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि दलित उद्यमियों के लिए सभी योजनाएं जारी कर दी जाएं। गर्ग ने बताया कि देश में और प्रदेश में पहली बार औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियां आगे आ रही हैं जिसके तहत शनिवार 11 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास पर एक करार किया जाएगा जिसके तहत 25 से 30 निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो सकेंगे। उन्होंने पूर्वांचल के विकास पर कहा कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड के विकास के लिए अलग अलग निधि है, जिसमें से अलग से सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली वितरण की स्थिति में सुधार आ रहा है।

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