प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता
में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने कल भारत की
प्रथम एकीकृत राष्ट्रीय नीति- कौशल विकास एवं उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति 2015 को
मंजूरी दे दी। यह नीति सफल कौशल रणनीति की कुंजी के रूप में उद्यमिता को प्रोत्साहन
देने के लिए एक प्रभावी योजना की जरूरत को स्वीकार करती है। कौशल विकास पर
पूर्ववर्ती राष्ट्रीय नीति का निरूपन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 2009 में
किया था और नीतिगत प्रारूप को उभरते राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रुझानों के
अनुरूप बनाने के लिए पांच साल बाद समीक्षा का प्रावधान किया गया था।
इस नीति का विजन ‘’उच्च
मानकों सहित रफ्तार के साथ बड़े पैमाने पर कौशल प्रदान करते हुए सशक्तीकरण की व्यवस्था
तैयार करना और उद्यमिता पर आधारित नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना, जो देश में सभी नागरिकों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए
धन एवं रोजगार का सृजन कर सके।’’
इस विजन को प्राप्त करने के लिए नीति के चार
प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाना है। यह नीति कम अपेक्षित मूल्य, औपचारिक
शिक्षा से एकीकरण का अभाव, निष्कर्ष पर ध्यान देने का अभाव, प्रशिक्षण के लिए अच्छी
बुनियादी सुविधाओं और प्रशिक्षकों का अभाव, आदि सहित कौशल संबंधी
प्रमुख बाधाओं को दूर करती है। इतना ही नहीं, नीति वर्तमान खामियों को
दूर करते हुए, उद्योग से संबंध को बढ़ावा देते हुए, गुणवत्तापूर्ण भरोसेमंद
प्रारूप के परिचालन,प्रौद्योगिकी को बल प्रदान करने और प्रशिक्षुता प्रशिक्षण के व्यापक
अवसरों को बढ़ावा देते हुए कौशलों के लिए आपूर्ति एवं मांग को व्यवस्थित रखती है।
नीति में निष्पक्षता पर ध्यान दिया गया है, जो सामाजिक/भौगोलिक रूप से
हाशिये पर रहने वालों और वंचित वर्गों के लिए कौशल अवसरों पर लक्षित करती है।
महिलाओं के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता कार्यक्रमों पर नीति में विशेष ध्यान
दिया गया है। उद्यमिता के क्षेत्र में, नीति में महिलाओं को
औपचारिक शिक्षा प्रणाली के दायरे भीतर और बाहर संभावित उद्यमियों को शिक्षित और
समर्थ बनाने की बात कही गई है। इसमें उद्यमियों को परामर्शदाताओं, सहायकों
और ऋण बाजारों से जोड़ने, नवाचार एवं उद्यमिता संस्कृति को प्रोत्साहन देने, कारोबार
करने को और ज्यादा सुगम बनाने तथा सामाजिक उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करने को
बढ़ावा दिया जाना भी शामिल है।

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