नई दिल्ली: राजस्थान की मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे एक नए विवाद में फंसती हुई नजर आ रही हैं. मामला करीब दस साल पुराना
है बेशकीमती 8 कालीनों की चोरी से जुड़ा हुआ है.
करीब 200-250 करोड़ की बेशकीमती कालीन जयपुर के
एक सरकारी होटल से निकली लेकिन कहां गई कोई नहीं जानता. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य
सरकार से नोटिस जारी करके पूछा है कि कालीन चोरी मामले की जांच सीबीआई को क्यों ना
सौंप दी जाए?
ये कहानी दस साल पुरानी है जो
राजस्थान के एक सरकारी होटल खासा कोठी से जुड़ी हुई है. इस होटल में बेशकीमती 8 ईरानी कालीन हुआ करते थे. जो होटल की शान थे. उस वक्त
राजस्थान के सीएम की कुर्सी वसुंधरा राजे के पास थी. कहते हैं कि साल 2005-06 के दौरान ये आदेश दिया गया था कि खासा कोठी की करीब 250 करोड़ के ये आठ बेशकीमती कालीन सरकारी होटल से सीएम दफ्तर ले
जाएं. खासा कोठी के कालीनों को सीएम दफ्तर ले जाने के लिए लपेटा गया लेकिन कालीन
तो कभी सीएम के दफ्तर गए ही नहीं. कहां गए इसकी जांच के लिए मामला कोर्ट तक पहुंच
चुका है?
लेकिन आरोप ये है कि खासा कोठी
सरकारी होटल से निकला 250 करोड़ के
बेशकीमती 8 कालीनों का ये काफिला 13 एकड़ में फैले धौलपुर महल में जाकर रुका. धौलपुर महल सेवेन
स्टार होटल बन चुका है जो वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह की कंपनी नियंत
हेरिटेज का है. साल 2003 से 2008 तक वसुंधरा राजस्थान की सीएम थीं. 17 सितंबर साल 2005 में वसुंधरा
राजे के खास और उनके ओएसडी धीरेन्द्र कमठान के कहने पर जयपुर के खासा कोठी होटल से
पहले 6 कालीन सीएम दफ्तर भेजे गए और फिर 15 अप्रैल 2006 को दो और कालीन
सीएम दफ्तर भेजे गए.
ये कालीन भेजना इतना आसान नहीं था
कथित तौर पर ये कालीन मुख्यमंत्री दफ्तर के लिए किराए पर दिए गए थे लेकिन साल 2008 में वसुंधरा राजे जब राजस्थान की सत्ता से बाहर हुईं तब खासा
कोठी को ये बेशकीमती ईरानी कालीन वापस नहीं मिले. खोज हुई तो पता चला ये सीएम
दफ्तर में भी नहीं हैं.
ये कालीन राजस्थान पर्यटन विकास निगम
के तत्कालीन अधिशासी अभियंता राकेश भार्गव ने सीएम दफ्तर को सौंपे थे. साल 2009 में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अधिशासी अभियंता राजेंद्र
कुमार ने राकेश भार्गव के खिलाफ कालीन खुर्द-बुर्द कर देने का आरोप लगाकर उनके
खिलाफ जयपुर के अशोक नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवा दिया.
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की
लेकिन इतने सालों में जब कुछ ठोस होता हुआ नहीं दिखाई दिया तो समाजसेवी और आरटीआई
कार्यकर्ता राम सिंह कस्वा ने भ्रष्टाचार और सरकारी संपत्ति को बर्बाद करने की
आशंका जताते हुए वसुंधरा राजे के ओएसडी धीरेंद्र कमठान के खिलाफ एंटी करप्शन
ब्यूरो में मामला दर्ज करवाया. और बाद में हाईकोर्ट में याचिका लगाई.
राम सिंह की इसी याचिका पर अब
राजस्थान हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब
मांगा है कि क्यों ना जांच सीबीआई को सौंप दी जाए.
जिस धीरेंद्र कम्ठान के नाम का
बार-बार जिक्र हो रहा है वो वसुंधरा राजे का दाहिना हाथ हुआ करते थे. और साल 2013 के चुनाव अभियान की योजना बनाने वालों में से एक थे. वसुंधरा
राजे पर जब ललित मोदी ने हमला किया था तो कम्ठान का नाम भी लिया था. 27 अक्टूबर 2013 को ललित ने
ट्वीट में लिखा था कि चुनाव करीब है. ऐसा लगता है कि अरुण जेटली और भूपेन्द्र यादव
ने टिकट बेचने शुरू कर दिये हैं. वसुंधरा राजे को अरुण जेटली, भूपेन यादव और कम्ठान से सावधान रहना चाहिए. हाइकोर्ट से
नोटिस जारी होते ही कांग्रेस एक बार फिर वसुंधरा को घेरने में जुट गई है.
करोड़ों की कालीन चोरी के इस मामले
में खास बात ये है कि सीएम के तत्कालीन ओएसडी धीरेंद्र कमठान को कालीन देते वक्त
राकेश भार्गव ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग की थी. पुलिस ने भी अदालत में दी अपनी
रिपोर्ट में इस बात को माना था और क्लिप में आवाज की फॉरेसिंक जांच की जरूरत बताई
थी.
इतना ही नहीं राकेश भार्गव ने तफ्तीश
में बताया था कि धीरेंद्र कम्ठान की हैंडराइटिंग वाली एक रसीद भी है जो सीएम दफ्तर
को कालीन मिलने के वक्त दी गई थी. लेकिन तीन साल से ज़्यादा का वक़्त बीत जाने के
बाद भी पुलिस ने ना तो वॉयस सैंपल की जांच करवाई और ना ही हैंडराइटिंग के नमूने
लिए.
250 करोड़ की लापता बेशकीमती कालीने जिस
खासा कोठी की शान हुआ करती थीं वो सैकड़ों साल पहले सवाई राम सिंह ने बनवाई थी
जिसे राज्य के गेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था.
अब कालीन चोरी का ये मामला सीबीआई को
सौंपे जाने की बात हो रही है सीबीआई पर वैसे ही बोझ इतना ज्यादा है. अभी-अभी
व्यापम घोटाले की जांच सौंपी गई है लेकिन लगता है कि इस बार कालीन के चोर को
पकड़ने का जिम्मा भी सीबीआई को संभालना होगा.

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