Story Update : Friday, April 13, 2012 12:20 AM
भदोही। गत 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत के कालीन निर्यात ने नई ऊंचाइयों को छू लिया है। यह बात कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के पास मौजूद आंकड़ों से साबित होता है। वर्ष 2006-07 में भारतीय कालीन निर्यात आल टाइम हाइ 3674।86 करोड़ जा पहुंचा था और यदि बीते वित्तीय वर्ष के आंकड़े देखें तो अब यह 3876.02 करोड़ जा पहुंचा है। हालांकि इन आंकड़ों पर भदोही कालीन परिक्षेत्र का एक भी निर्यातक विश्वास करने को तैयार नहीं है।सीईपीसी द्वारा हाल ही में वर्ष 2011-12 के कालीन निर्यात के आंकड़े प्रस्तुत किए गए। पहले कहा जा रहा था कि इस वर्ष 3850 करोड़ का आंकड़े उद्योग नहीं छू पाएगा। दिसंबर में तत्कालीन चेयरमैन ओपी गर्ग ने टारगेट को घटाकर 3400 करोड़ कर दिया था लेकिन अंतिम तीन माह में निर्यात में काफी सुधार हुआ जिससे 3850 करोड़ का आंकड़े को उद्योग ने पार कर लिया। अगर आंकड़ों से चलें तो भारत ने पिछले हाई जो वर्ष 2006-07 में 3674.86 करोड़ था उसे पार कर नई ऊंचाइयों को छू लिया है। हालांकि तब 3674.86 करोड़ को विश्व में किसी भी देश द्वारा सर्वाधिक निर्यात बताया गया था।अगर बीते वित्तीय वर्ष 2011-12 की तुलना वर्ष 2010-11 से की जाए तो निर्यात 29.52 प्रतिशत तक बढ़ा है। अगर-अलग देखा जाए तो हस्तनिर्मित ऊलेन कालीन व दरी में 26.69 प्रतिशत, हस्तनिर्मित टफ्टेड कालीन में 31.58 प्रतिशत, हस्तनिर्मित सिल्क कालीन में 37.66 प्रतिशत तथा हस्तनिर्मित स्टेपल व सिंथेटिक कालीन में 34.50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।यह वृद्धि कहां से दर्ज हो रही है स्थानीय कालीन निर्यातकों के समझ से परे है। अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के मानद सचिव की मानें तो भदोही-मिर्जापुर का कालीन का निर्यात पिछले दस वर्षों में 70 प्रतिशत से गिर कर 40 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। उन्होंने कहा कि अभी तो सीईपीसी ने खुद आर्थिक मंदी मानते हुए टारगेट को कम किया था लेकिन साल खत्म होते होते कहां से टारगेट पार कर गय यह तो सीईपीसी वाले ही समझ सकते हैं।
साभार अमर उजाला

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